विनोबा भावे एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय समाज में गहरी छाप छोड़ी। वे भूदान आंदोलन के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय किसानों और भूमिहीनों के बीच भूमि वितरण को सुधारना था।

विनोबा भावे का जीवन परिचय:
विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर 1895 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के शिरवली गांव में हुआ था। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे महात्मा गांधी के अनुयायी थे और गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित थे। विनोबा भावे ने बहुत ही सरल और संयमित जीवन जीने का संकल्प लिया था।
भूदान आंदोलन की शुरुआत:
भूदान आंदोलन की शुरुआत 1951 में हुई थी, जब विनोबा भावे ने बीहड़ और पिछड़े इलाके, जैसे बिहार के पटना जिले के एक गांव, में पहली बार किसानों से अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा दान करने की अपील की। उन्होंने यह आंदोलन महात्मा गांधी के ‘नकद भूमि सुधार’ के सिद्धांत के आधार पर शुरू किया था। उनका उद्देश्य था कि देश में हर गरीब को भूमि मिले, ताकि वह अपनी आजीविका चला सके और गरीबी दूर हो सके।
विनोबा भावे ने अपने आंदोलन के दौरान किसानों से बिना किसी दबाव के अपनी जमीन का कुछ हिस्सा दान करने की अपील की। उनका यह विचार था कि यदि हर व्यक्ति अपने पास की अधिक भूमि का कुछ हिस्सा दान करेगा, तो इससे गरीबों को भूमि मिल जाएगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
भूदान आंदोलन के प्रमुख पहलू:
- साधारण और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण: विनोबा भावे ने भूमि दान के लिए किसी तरह की बलपूर्वक कार्रवाई की बजाय पूरी तरह से अहिंसा और प्रेम का रास्ता अपनाया। उन्होंने गांधीजी के सिद्धांतों का पालन करते हुए भूदान आंदोलन को फैलाया।
- समाज में जागरूकता: विनोबा भावे ने इस आंदोलन के माध्यम से समाज में यह जागरूकता फैलाई कि भूमि का वितरण एक गंभीर सामाजिक समस्या है। उन्होंने यह समझाया कि अगर भूमि का सही तरीके से वितरण किया जाए तो समृद्धि और समानता का रास्ता खुल सकता है।
- भूमिहीनों को भूमि का अधिकार: वे मानते थे कि हर व्यक्ति को अपनी आजीविका के लिए भूमि मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने समाज के समृद्ध वर्ग से अपील की कि वे अपनी अतिरिक्त भूमि गरीबों को दान करें।
भूदान आंदोलन का विस्तार:
विनोबा भावे के भूदान आंदोलन ने पूरे भारत में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस आंदोलन को न केवल महाराष्ट्र, बल्कि उत्तर भारत, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश में भी फैलाया। उनके साथ कई प्रमुख लोग जुड़े और यह आंदोलन एक राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया।
इसके बावजूद, भूदान आंदोलन की पूरी सफलता नहीं हो पाई, क्योंकि यह स्वेच्छिक था और सरकार की तरफ से कोई बड़ी कानूनी पहल नहीं की गई थी। इस आंदोलन को सरकारी सहयोग का सामना नहीं मिला, जिससे इसका प्रभाव सीमित था।
विनोबा भावे का योगदान:
विनोबा भावे ने न केवल भूदान आंदोलन का नेतृत्व किया, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता, समानता, और अहिंसा के सिद्धांतों को भी बढ़ावा दिया। वे भारतीय जनता के बीच आत्मनिर्भरता, परस्पर सहयोग और प्रेम की भावना फैलाने में सफल रहे। उन्होंने भारतीय समाज में बदलाव लाने के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से समर्पित किया।
विनोबा भावे का योगदान भारतीय समाज के लिए अमूल्य है, और वे हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में याद किए जाएंगे।
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