1. मकर संक्रांति प्रस्तावना (Makar sankranti 2025)
मकर संक्रांति (Makar sankranti) भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस त्योहार का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व है।

2. मकर संक्रांति 2025 नाम और महत्व
मकर संक्रांति को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे, उत्तर भारत में इसे ‘मकर संक्रांति’, तमिलनाडु में ‘पोंगल’, असम में ‘भोगाली बिहू’, और गुजरात-महाराष्ट्र में ‘उत्तरायण’ कहा जाता है। यह त्योहार नई ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है।
3. मकर संक्रांति का खगोलीय महत्व
मकर संक्रांति उस समय को चिह्नित करती है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और पृथ्वी पर दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे सूर्य भगवान के उत्तरायण की शुरुआत के रूप में देखा जाता है, जिसे शुभ और पवित्र माना जाता है।
4. मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. मकर संक्रांति कृषि और फसल उत्सव
यह त्योहार फसलों की कटाई के मौसम का भी प्रतीक है। किसानों के लिए यह खुशी का समय होता है क्योंकि उनकी मेहनत का फल मिलना शुरू होता है। इस दिन नई फसल से तैयार व्यंजन जैसे तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी आदि का सेवन किया जाता है।
6. मकर संक्रांति का पतंग उत्सव
मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा भी है। गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में लोग इस दिन पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें त्योहार को और भी खास बना देती हैं।
7. मकर संक्रांति का पोंगल और अन्य उत्सव
तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो चार दिनों तक चलता है। इसमें सूर्य देवता को धन्यवाद दिया जाता है। इसी प्रकार, असम में इसे भोगाली बिहू के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग सामूहिक भोज करते हैं।
8. मकर संक्रांति का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति समाज में भाईचारे और समानता का संदेश देती है। इस दिन लोग एक-दूसरे को तिल-गुड़ बांटकर कहते हैं, “तिल गुड़ लो, मीठा बोलो।” यह प्रेम और सौहार्द बढ़ाने का प्रतीक है।
9. मकर संक्रांति उत्साह और ऊर्जा का पर्व
इस दिन लोग नदियों में स्नान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य और पतंगबाजी करके अपनी खुशी जाहिर करते हैं। इस त्योहार से लोगों को नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
10. मकर संक्रांति का उपसंहार
मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति, धर्म और संस्कृति का संगम है। यह हमें नई शुरुआत, कड़ी मेहनत और परस्पर प्रेम का संदेश देता है। मकर संक्रांति हर व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए, यही कामना है।
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