संभल : जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने के दावे के बाद एडवोकेट कमिश्नर द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में पेश कर दी गई है। यह रिपोर्ट 45 पृष्ठों की है, जिसमें मस्जिद के अंदर किए गए सर्वेक्षण से संबंधित फोटो और वीडियो फुटेज भी सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत किए गए हैं।
क्या है मामला?
19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आठ लोगों की ओर से सिविल कोर्ट में दावा पेश किया था, जिसमें संभल की शाही जामा मस्जिद के स्थान पर हरिहर मंदिर होने की बात कही गई थी। अदालत ने इस दावे को स्वीकार करते हुए एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव को मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।

सर्वेक्षण की प्रक्रिया
- पहला चरण: 19 नवंबर की शाम को एडवोकेट कमिश्नर ने दोनों पक्षों की उपस्थिति में जामा मस्जिद के अंदर सर्वे किया। यह प्रक्रिया करीब डेढ़ घंटे चली, जिसमें फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की गई।
- दूसरा चरण: 24 नवंबर को सुबह फिर से सर्वे शुरू किया गया, लेकिन भारी भीड़ और विरोध के कारण स्थिति हिंसक हो गई। पथराव, फायरिंग, और आगजनी के चलते चार लोगों की जान चली गई।
रिपोर्ट पेश करने में हुई देरी
सर्वे रिपोर्ट पेश करने की पहली तारीख 29 नवंबर थी, लेकिन एडवोकेट कमिश्नर ने स्वास्थ्य कारणों से समय मांगा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी तक निचली अदालत को कोई आदेश जारी न करने का निर्देश दिया। इसके बाद भी समय-समय पर रिपोर्ट पेश करने में देरी हुई।
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अदालत में रिपोर्ट पेश
गुरुवार को आखिरकार 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट, फोटो और वीडियो फुटेज सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की गई। इस दौरान जामा मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता शकील वारसी समेत दोनों पक्षों के अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी को निर्धारित है, जिसमें अदालत इस रिपोर्ट पर विचार करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी।
(यह खबर घटनाक्रम पर आधारित है, मामले में कानूनी प्रक्रिया जारी है।)
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