New year 2025 : भारत एक ऐसा अनोखा देश है जहां विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं के कारण एक ही साल में पांच बार ‘नया साल’ मनाया जा सकता है। हर साल 1 जनवरी को अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह उत्सव केवल यहीं तक सीमित नहीं रहता। आइए जानते हैं भारत में मनाए जाने वाले विभिन्न नववर्षों के बारे में।
1. हिंदू नववर्ष
हिंदू नववर्ष हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और विक्रम संवत की शुरुआत हुई थी। इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे:
- उगादी (आंध्र प्रदेश और कर्नाटक)
- गुड़ी पड़वा (महाराष्ट्र)
- चेटी चंड (सिंधी समुदाय)
2. पंजाबी नववर्ष (बैसाखी)
बैसाखी हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह पंजाबी कैलेंडर का पहला दिन होता है और किसानों के लिए फसल कटाई का प्रमुख पर्व है। इस दिन सिख समुदाय धार्मिक अनुष्ठान करता है और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ होता है। बैसाखी का मुख्य संदेश कृषि से जुड़ी समृद्धि और सामुदायिक एकता है।

3. पारसी नववर्ष
पारसी समुदाय का नया साल दो बार मनाया जाता है:
- 21 मार्च: इसे “नवरोज़” कहा जाता है और यह विदेशों में पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाता है।
- 16 अगस्त: भारत में पारसी समुदाय इस दिन नवरोज़ के रूप में उत्सव मनाता है। यह दिन नवीनीकरण, समृद्धि और खुशी का प्रतीक है।
4. जैन नववर्ष
जैन धर्म में दिवाली के अगले दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का धार्मिक महत्व यह है कि भगवान महावीर को इसी दिन मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। जैन समुदाय इस दिन को आत्मिक शुद्धि और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाता है।
5. मुस्लिम नववर्ष (हिजरी नववर्ष)
मुस्लिम समुदाय इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने, मुहर्रम, की पहली तारीख को हिजरी नववर्ष मनाता है। यह चंद्र कैलेंडर पर आधारित है और इस दिन को समुदाय के लिए आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व प्राप्त है।
भारत की सांस्कृतिक विविधता इसे दुनिया के अन्य देशों से अलग बनाती है। चाहे वह हिन्दू नववर्ष हो, बैसाखी, नवरोज़, जैन नववर्ष या हिजरी नववर्ष, हर त्योहार भारतीय परंपराओं और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि भारत को “विविधता में एकता” का देश कहा जाता है।