नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से छुटकारा पाने का समय आ गया है। उन्होंने यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर आधारित पुस्तक ‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस’ के लॉन्च के अवसर पर की। गृह मंत्री ने इस मौके पर भारत के प्राचीन इतिहास और उसकी सांस्कृतिक धरोहरों पर भी चर्चा की।
भारत का इतिहास हजारों साल पुराना
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “भारत का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। यह देश हमेशा से एक था, लेकिन गुलामी के कालखंड में हमारे प्रजातीय आत्मविश्वास को तोड़ने के लिए इसे विस्मृत करने की कोशिश की गई।” उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के समय में लिखे गए इतिहास ने एक झूठ को बढ़ावा दिया कि यह देश कभी एकजुट नहीं हो सकता।

अनुच्छेद 370 और 35ए पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री ने अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाए जाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये अनुच्छेद कश्मीर और भारत के शेष हिस्सों के बीच विभाजन का कारण बने। “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत संकल्प ने इन्हें हटाया, जिससे कश्मीर और पूरे देश में विकास की नई राह खुली। अनुच्छेद 370 ने घाटी में अलगाववाद और आतंकवाद के बीज बोए थे। इसके हटने के बाद, आतंकवाद में 70% की गिरावट आई है।”
कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है, और हमेशा रहेगा। “8000 साल पुरानी किताबों में भी कश्मीर और झेलम का उल्लेख मिलता है। यह दिखाता है कि कश्मीर हमारी संस्कृति और सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
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इतिहास के पुनर्लेखन का समय
गृह मंत्री ने कहा कि इतिहासकारों ने अपने समय में जो लिखा, उसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन अब देश आजाद है और स्वतंत्र विचारों के अनुरूप चलने वाली सरकार है। “हमें ऐसे इतिहास से छुटकारा पाना होगा, जो शासकों को खुश करने के उद्देश्य से लिखा गया था।”
विकास और शांति की नई राह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कश्मीर में शांति और विकास लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने 80,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने न केवल आतंकवाद पर काबू पाया है, बल्कि आतंकी इको-सिस्टम को भी ध्वस्त किया है।
इस कार्यक्रम ने कश्मीर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को समझने और उसके महत्व को रेखांकित करने का एक मंच प्रदान किया। साथ ही, यह कश्मीर में शांति और विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
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