झारखण्ड राज्य को बिहार से अलग हुए 24 वर्ष पुरे हो चुके हैं। लेकिन अभी तक यहाँ की गरीबी दूर जिस स्तर से होनी चाहिए उस स्तर से नहीं हुई हैं। बेसक, झारखंड राज्य को प्राकृतिक संसाधनों, जैसे खनिज, वन और जल के मामले में भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक माना जाता है। लेकिन, इस संपदा के बावजूद, यह कई परस्पर जुड़े कारणों से गरीबी का सामना करता है। आखिरकार झारखण्ड गरीब क्यों हैं ? why is Jharkhand poor?
खनन पर आर्थिक निर्भरता
- झारखंड अपनी अर्थव्यवस्था के लिए खनन पर बहुत अधिक निर्भर करता है, लेकिन इस क्षेत्र में स्थानीय आबादी के लिए रोजगार पैदा करने की सीमित क्षमता है।
- खनन से उत्पन्न धन अक्सर निगमों और अन्य क्षेत्रों को लाभ पहुँचाता है, जिससे स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार नहीं हो पाता।
औद्योगिक विकास का अभाव
- संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, झारखंड ने ऐसे उद्योगों का पूर्ण विकास नहीं किया है जो रोजगार और राजस्व पैदा कर सकें।
- खराब बुनियादी ढाँचे, जैसे सड़क, बिजली और परिवहन, ने औद्योगिक विकास में बाधा डाली है।
कृषि संबंधी चुनौतियाँ
- आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है, लेकिन छोटी भूमि जोत, सिंचाई सुविधाओं की कमी और पारंपरिक खेती के तरीकों के कारण खेती बहुत उत्पादक नहीं है।
- मानसून पर निर्भरता कृषि को जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रति संवेदनशील बनाती है।
बेरोजगारी और पलायन
- रोजगार के सीमित अवसर लोगों को काम के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर करते हैं, अक्सर कम वेतन वाली और शोषणकारी नौकरियों में।
- यह पलायन स्थानीय आर्थिक विकास को भी कमजोर करता है।
खराब शासन
- शासन में भ्रष्टाचार और अक्षमताओं ने विकास के लिए संसाधनों के प्रभावी उपयोग को रोक दिया है।
- गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से बनाई गई कई सरकारी योजनाएँ कुप्रबंधन और जवाबदेही की कमी के कारण इच्छित लाभार्थियों तक पहुँचने में विफल हो जाती हैं।
आदिवासी आबादी की चुनौतियाँ
- झारखंड में एक महत्वपूर्ण आदिवासी आबादी है, जिनमें से कई सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर हैं।
- औद्योगिक और खनन परियोजनाओं ने पारंपरिक आजीविका को बाधित किया है, जिससे विस्थापन और सांस्कृतिक विरासत का नुकसान हुआ है।
शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक खराब पहुँच मानव विकास में बाधा डालती है।
- उच्च निरक्षरता दर और खराब कौशल विकास लोगों को बेहतर आर्थिक अवसरों तक पहुँचने से रोकता है।
पर्यावरण क्षरण
- खनन और वनों की कटाई ने गंभीर पर्यावरणीय क्षरण का कारण बना है, जिससे कृषि और आजीविका प्रभावित हुई है।
- खनन गतिविधियों से होने वाला प्रदूषण स्थानीय समुदायों को भी नुकसान पहुँचाता है।
समाधान
इन चुनौतियों से निपटने के प्रयासों में ये शामिल हो सकते हैं:
- उद्योगों और लघु-स्तरीय व्यवसायों को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था में विविधता लाना।
- बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश करना।
- संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए शासन को मजबूत करना।
- सतत विकास और आदिवासी कल्याण कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
इन मुद्दों से निपटने के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रणनीतियों को मिलाकर बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।